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हरियाणा समेत देश भर में बीमा के लिए किसान आवेदनों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई – दीपेन्द्र हुड्डा

सत्य खबर चंडीगढ़, 14 दिसंबर।There has been a decline in the number of farmer applications for insurance across the country including Haryana – Deependra Hooda

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत एकत्रित प्रीमियम राशि और उपलब्ध सुरक्षा का राज्य वार ब्योरा मांगा तो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जो जवाब दिया उससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का भरोसा उठता जा रहा है, क्योंकि पिछले 5 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा समेत देश भर में बीमा के लिए किसान आवेदनों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। वहीं, अगर राज्यवार आंकड़ों को देखें तो हरियाणा में भी इस योजना से किसानों का मोहभंग हो चुका है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार के जवाब में दिए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि PM फसल बीमा योजना में हरियाणा के किसानों की भागीदारी में कमी आई है। रबी और खरीफ फ़सली सीजन के अलग अलग आंकड़ों को देखें तो स्पष्ट हो जाएगा कि इस योजना को किसानों ने नकार दिया है।

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दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि फसल नुकसान की गणना करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर क्लेम निपटारे में मनमानी कर रही हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। इसका उदाहरण देते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में आई ख़बरों के मुताबिक़ कई जिलों के किसानों से बीमा कंपनियों ने प्रिमियम तो काट लिया गया लेकिन उनका बीमा ही नहीं किया। अब किसान मुआवजे के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। सरकार ने दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल पर संसद में दिए जवाब में बताया कि ओलावृष्टि, भूस्खलन, जलप्लावन, बादल फटने औरप्राकृतिक आग के स्थानीय जोखिमों और चक्रवात, बेमौसम वर्षा आदि के कारण होने वाले नुकसान की गणना व्यक्तिगत बीमित खेत के आधार पर होती है और बीमा दावों का मूल्यांकन एक संयुक्त समिति द्वारा किया जाता है जिसमें केवल राज्य सरकार और संबंधित बीमा कंपनी के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

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उन्होंने कहा कि PM फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना बन गई है। संसद में खुद केंद्र सरकार ने जुलाई महीने में एक सवाल के जवाब में माना था कि पिछले 7 वर्षों में इन निजी बीमा कंपनियों ने किसानों से ₹1,97,657 करोड़ बीमा प्रीमियम वसूला लेकिन ₹1,40,036 करोड़ मुआवजा देकर कुल ₹57,000 करोड़ का तगड़ा मुनाफ़ा अपनी तिजोरियों में भर लिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में निजी बीमा कंपनियों ने पूरे देश के किसानों से 27900.78 करोड़ रुपया प्रीमियम लिया लेकिन किसानों को सिर्फ 5760.80 करोड़ रुपये ही बीमा मुआवजा दिया। वहीं, हरियाणा में वर्ष 2022-23 में AIC कंपनी ने किसानों से 703.84 करोड़ रुपये प्रीमियम लिया लेकिन सिर्फ 7.46 करोड़ रुपये का ही मुआवजा दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि बीमा प्रीमियम देने की तारीख तो निश्चित होती है लेकिन किसानों को क्लेम देने की तारीख निश्चित नहीं होती जो सरासर अन्याय है, इस अन्याय के खिलाफ हम सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेंगे।

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